Thursday, May 9, 2019

आंसुओं से भरी जिंदगी...



आंसुओं से भरी जिंदगी,
दर्दे दोज़ख़ से होती है बढ़कर।
बेसमय मौत इसकी दवा है-
करना ऐसा नहीं होता हितकर।।
   लोग कहते हैं फाँसी पे ख़ुद को,
   है चढ़ाना बहुत कायराना।
   ज़िन्दगी खूबसूरत सफ़र है,
   ऐसे-तैसे में उसको गवांना।
गिरना-उठना औ फिर उठ के गिरना,
बस यही ज़िन्दगी का  तकाज़ा।
ज़िन्दगी के हर इक पल को जीना-
होता सदा जग में सुख कर।।
    आते तूफ़ान जो ज़िन्दगी में,
    उनको आना है, आते रहेंगे।
    काम है छोटे दीपक का जलना,
    उसको तूफ़ां बुझाते रहेंगे।
ग़म नहीं चाँदनी को भले ढक लिया,
जो छाये रहे नभ में बादल।
देते मौक़ा उसे ही तो बादल-
निकलने का ख़ुद फिर से छट कर।।
   ज़िन्दगी के कुरुक्षेत्र में,
   पाण्डु-कौरव सदा ही रहे हैं।
   पाण्डु साहस औ धीरज से अपने,
  दण्ड कौरव के सारे सहे हैं।
युद्ध होना था वो तो हुआ ही,
और लड़ना पड़ा अपने लोंगो से।
पर,सफलता मिले बस जरूरी-
सारथी कृष्ण सा होना बेहतर।।
   पतली धारा निकल पर्वतों से,
   करती संघर्ष है जब उतरती।
   धर के आकार विस्त्रित धरा पे,
   वो उमड़ती-घुमड़ती है बहती।
पिलाती जलामृत सभी जन्तुओं को,
बहती-जाती अवनि पे निरन्तर।
अन्त में उसको मिलता मिलन-सुख-
सङ्ग सागर जो होता श्रेयस्कर।।
   मुश्किलों में तराशा मुसाफिर,
   अपनी मंज़िल का बनता चहेता।
   बस उसी को नहीं कुछ है मिलता,
   जोखिमों से जो मुँह मोड़ लेता।
लड़ते-लड़ते अखाड़े का अन्तिम,
होता योद्धा ही उत्तम विजेता।
घिसते-घिसते शिला पे ही मेंहदी-
सुर्ख़ होती सुनो, मेरे  प्रियवर।।
ज़िन्दगी के हर इक पल को जीना, होता सदा जग में सुखकर।।

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