प्रतिशोध लिया हमने चढ़कर,
कर छलनी छाती दुश्मन की।
शांत हुई ज्वाला अब कुछ-
जो रही धधकती तन-मन की।।
आतंकवाद-नापाक-लोक को,
चुनचुन के हमें ढहाना है।
बिलों में आतंकी की घुस कर,
उनको मार गिराना है।
अमर शहीदों की कुर्बानी,व्यर्थ नहीं अब जाएगी-
होगी विकसित जन-मानस में,इच्छा प्राण-समर्पण की।।
रही कराहती शस्य-श्यामला,
अपनी धरती ज़ुल्मों से
दहशतगर्दी-खून-खराबों,
लुका-छुपी-करतूतों से।
अब न रहेगी दहशतगर्दी,नहीं रहेगा मानव-शोषण-
जाग उठी धरती अब अपनी,नयी दृष्टि-नव चिन्तन की।।
उड़ न सकेगा कोई परिंदा,
अब आतंक हिमायत का।
नामों-निशां अब मिट जायेगा,
दहशतगर्द रवायत का।
विश्व-पटल पर फहरेगा अब,परचम भारत माता का-
अमरीका -जापान-चीन,तारीफ हैं करते गुलशन की।।
लौट के आया शान से अपना,
पवन-पुत्र अभिनन्दन।
पा के लाल सुरक्षित देखो,
देश में है नन्दन-नन्दन।
अभिनंदन का करते सब मिल,एकसाथ अभिनंदन हैं-
हुई घड़ी आरम्भ देख लो,नव भारत के सर्जन की।।
भारत की अद्भुत क्षमता का,
नहीं विश्व में तोड़ है।
जोड़-तोड़ में लगे पाक की,
चाल का भंडाफोड़ है।
दे पनाह दहशतगर्दों को,पाक खूब पछतायेगा-
अब न हेकड़ी चलेगी उसकी,हया दिखेगी चिलमन की।।
शान्त हुयी ज्वाला अब कुछ,जो रही धधकती तनमन की।।
No comments:
Post a Comment