Wednesday, May 8, 2019

प्रतिशोध लिया हमने चढ़कर...



प्रतिशोध लिया हमने चढ़कर,
कर छलनी छाती दुश्मन की।
शांत हुई ज्वाला अब कुछ-
जो रही धधकती तन-मन की।।
      आतंकवाद-नापाक-लोक को,
      चुनचुन के हमें ढहाना है।
      बिलों में आतंकी की घुस कर,
      उनको मार गिराना है।
अमर शहीदों की कुर्बानी,व्यर्थ नहीं अब जाएगी-
होगी विकसित जन-मानस में,इच्छा प्राण-समर्पण की।।
       रही कराहती शस्य-श्यामला,
       अपनी धरती ज़ुल्मों से
       दहशतगर्दी-खून-खराबों,
       लुका-छुपी-करतूतों से।
अब न रहेगी दहशतगर्दी,नहीं रहेगा मानव-शोषण-
जाग उठी धरती अब अपनी,नयी दृष्टि-नव चिन्तन की।।
       उड़ न सकेगा कोई परिंदा,
        अब आतंक हिमायत का।
         नामों-निशां अब मिट जायेगा,
         दहशतगर्द रवायत  का।
विश्व-पटल पर फहरेगा अब,परचम भारत माता का-
अमरीका -जापान-चीन,तारीफ हैं करते गुलशन की।।
        लौट के आया शान से अपना,        
       पवन-पुत्र  अभिनन्दन।
        पा के लाल सुरक्षित देखो,
        देश में है नन्दन-नन्दन।
अभिनंदन का करते सब मिल,एकसाथ अभिनंदन हैं-
हुई घड़ी आरम्भ देख लो,नव भारत के सर्जन की।।
        भारत की अद्भुत क्षमता का,
        नहीं विश्व में तोड़ है।
        जोड़-तोड़ में लगे पाक की,
        चाल का भंडाफोड़ है।
दे पनाह दहशतगर्दों को,पाक खूब पछतायेगा-
अब न हेकड़ी चलेगी उसकी,हया दिखेगी चिलमन की।।
     शान्त हुयी ज्वाला अब कुछ,जो रही धधकती तनमन की।।


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