Monday, May 6, 2019

होली-ईद-दीवाली...



होली-ईद-दीवाली तीनों,
होतीं प्रेम -पियाली।
प्रेम-पाग का रस पी के-
जन गायें फ़ाग-कौव्वाली।।सभी पैगामे मोहब्ब्त-सभी पैगामे मोहब्ब्त।।
     होली के सब रंग निराले,
     खेलें सङ्ग सेवइयां वाले।
     दीवाली का दीप जला कर-
      घर-आँगन में करें उजाले।।
करें सब ग़म को रुख़सत-सभी पैगामे मोहब्ब्त।।
      भात-भोज-उत्सव-पर्वों पर,
      सब मिल कर नाचें-गायें।     
      मिल कर दोनों मुल्ला-पण्डित-
      रचि-रचि भोग लगायें।।
धर्म की अद्भुत सोहबत-यही पैगामे मोहब्ब्त।।
      नन्दन-क्रन्दन दोनों में भी,
      रहें सभी सहभागी।
      चलें क़दम से क़दम मिला कर-
      बीतराग-अनुरागी।।
नहीं लें काम से मोहलत।।सभी पैगामे मोहब्ब्त।।
      होते फूल गोया बहुरंगी,
     पर रहता एक चमन है।
     भाँति-भाँति की खुशबू ले के-
     देता शांति-अमन है।।
चमन में ग़ज़ब की क़ुव्वत-यही पैगामे मोहब्ब्त।।
    अम्बर की महफ़िल सजती है,
     सूरज-चाँद-सितारों से।
     गौरव-गरिमा मुल्क़ की बढ़ती-
     छोटे-बड़ किरदारों से।।
बढ़ायें सब मिल कर शोहरत-यही पैगामे मोहब्ब्त।।

No comments:

Post a Comment