Sunday, May 5, 2019

क़ाबिज़ न होने...


क़ाबिज़ न होने देना,मन पे थके बदन को,
तन की थकान देती,उदासी सदा ही मन को।
होता बड़ा दिलेर है,इन्सान का ये मन-
ज़िंदा-दिली से आदमी,छू लेता है गगन को।।
                     क़ाबिज़ न होने......।।
नेपोलियन कहा है,कुछ भी नहीं असम्भव,
ऊँचा ही तो मनोबल,करता असम्भव सम्भव।
पहना दो मुश्किलों को सौहार्द की माला-
तरसेंगी तब ये मुश्किलें,कोमल तेरी छुवन को।।
                क़ाबिज़ न होने.......।।
अख़बार में छपोगे,टी.वी.में तुम दिखोगे,
होगा बुलन्द तेरा,हर काम जो करोगे।
चर्चाये आम होंगे,तेरे क़ाफिये औ नग़में-
दुनिया पसन्द करेगी,तेरी ही हर चलन को।।
              क़ाबिज़ न होने.......।।
राज-पथ पे पट्टिका,तेरे नाम की लगेगी,
शिक्षा-सदन बनेंगे,महफ़िल अदब सजेगी।
नवाज़ोगे बस तुम्ही ही,इन्तज़ामी बैठकों को-

सम्मान देगी दुनिया,तुमको,तेरे वतन को।।
           क़ाबिज़ न होने........।।
तेरी कीर्ति का पताका,फहरेगा चारो-ओर,
नाम का ही तेरे,जन-जन में होगा  शोर।
हो जाओगे अमर तुम,अपने ही हौसलों से-
ये आसमां भी झुकता,तुझ जैसों के नमन को।।
          क़ाबिज़ न होने........।।
हौसले से बढ़कर,होता नहीं है कुछ भी,
हों हौसले बुलन्द तो,न तन थके ही कुछ भी।
हौसलों को अपने,रखना सदा  बुलन्द-
ग़ुल खिल के ख़ार संग ही,देता खुशी चमन को।।
     ज़िंदा-दिली से आदमी,छू लेता है गगन  को।।

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