Friday, May 10, 2019

आज मौसम का रुख...



आज मौसम का रुख कुछ है बदला,
लगता तूफ़ान है आने वाला।
अभी तक रही चाँदनी  जो यहां-
हो गया उसका धुँधला उजाला।।
        शोर करने लगीं हैं हवायें,
        काँपने अब लगीं हैं दिशायें।
       नभ में बादल उमड़ने लगे हैं-
       पेट सरिता का है भरने वाला।।
तोड़ तट-बन्ध को जल बहेगा,
नष्ट फसलों को अब वह करेगा।
बाढ़ का हो निरंकुश यह पानी-
छिनने वाला है मुख का निवाला।।
        ज़िन्दगी की सुनोगे रुलाई,
        होगी खुशियों की झट-पट विदाई।
        सुख लुटाती हुयी ज़िन्दगी का-
        अब तो निकलेगा सारा दिवाला।।
जग सुरक्षित रहेगा जभी,
सुख की सरिता बहेगी तभी।
प्यार कर लो प्रकृति से ज़रा सा-
मारेगा सुख को ना  पाला।।
      पेड़-पर्वत-नदी की रवानी,
      हैं ये क़ुदरत की सारी निशानी।
      इनकी रक्षा स्वयम की है रक्षा-
      प्यार क़ुदरत से कर लो निराला।।
क़ुदरत सुरक्षित तो जीवन सुरक्षित,
जीवन सुरक्षित,न खुशियों से वंचित।
यही धारणा यदि रहेगी सदा तो-
नहीं बाल बांका कभी होने वाला।।
    प्यार क़ुदरत से कर लो निराला।।

No comments:

Post a Comment