आज अपने जनम-दिन मना लीजिये,
कल ना जाने कहाँ शाम हो जायेगी?
ज़िन्दगी एक पल है उजाले भरी,
फिर अंधेरों भरी रात हो जायेगी॥ आज अपने...... ॥
धूप है, छाँव है, भूख है, प्यास है।
आस-विश्वास इसमें ही प्रतिघात है।
चलते-चलते यूँ रस्ते बदल जाते हैं,
देखते-देखते बात हो जायेगी॥ आज अपने..........॥
है ये पाषाण से भी कहीं सख्त-दिल,
पुष्प से स्निग्ध, स्नेहिल औ कृपालु है।
तोला मासा बने, मासा रत्ती कभी,
जलते शोलों पे बरसात हो जायेगी॥ आज अपने....॥
ज़िन्दगी दास्ताँ प्यार-नफरत की है,
दोस्ती, दुश्मनी, इल्म, शोहरत की है।
एक पल में हमें बख्श देती अगर,
दूसरे में हवालात हो जायेगी॥ आज अपने ..........॥
स्वार्थ में है जगत सारा डूबा हुआ,
हित यहाँ गैर का गौड़ अब हो गया।
लोग अपने में गर इस तरह खो गए,
बदबख्ती की हालत हो जायेगी॥ आज अपने........॥
लाख खुशियाँ यहाँ हम मनाएं मगर,
याद रखना, हमेशा यही दोस्तों।
आज हैं हम यहाँ, कल न जाने कहाँ,
अजनबी से मुलाक़ात हो जायेगी॥ आज अपने.....॥
Tuesday, August 25, 2009
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आज अपने जनम-दिन मना लीजिये,
ReplyDeleteकल ना जाने कहाँ शाम हो जायेगी?
ज़िन्दगी एक पल है उजाले भरी,
फिर अंधेरों भरी रात हो जायेगी॥ आज अपने...... ॥
बहुत खूब ......!!
अच्छी लगी आपकी रचना .....!!
बहुत ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़!
ReplyDeleteधन्यवाद हरकीरत जी और विनय जी।
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