Tuesday, August 25, 2009

आदमी, आदमी को बना दीजिये....

हाथ से हाथ अपना मिला लीजिये,
बात बिगड़ी जो अरसे से बन जायेगी।
दुश्मनों को गले से लगा लीजिये,
दुश्मनी दोस्ती में बदल जायेगी। बात बिगड़ी....... ॥

लोग मिलते हैं, मिल के बिछड़ जाते हैं,
पर बिछड़ने के पहले कुछ कर जाते हैं।
आप भी अपने जौहर दिखा दीजिये,
मौत भी एक पल को ठहर जायेगी। बात बिगड़ी.....॥

लोग खाते हैं क़समें मुकर जाते हैं,
यहाँ वादे, इरादे बदल जाते हैं।
आप भी अपने वादे निभा दीजिये,
चंद लम्हों में ये साँस थम जायेगी। बात बिगड़ी.....॥

ज़िन्दगी जीना है, मान-सम्मान की,
धर्म, ईमान की, त्याग-बलिदान की।
परचमे जोश को यूँ हवा दीजिये,
दुश्मनों की दियानत दहल जायेगी। बात बिगड़ी.....॥

फ़र्ज़ इंसानियत का निभाना ही है,
आदमी की तरह दिन बिताना ही है।
आदमी, आदमी को बना दीजिये-
ज़िन्दगी एक पल में संवर जायेगी॥ बात बिगड़ी......॥

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