Wednesday, August 19, 2009

माई-सुमिरन

हे माई !
हम त तोहार करीं वंदना ॥
हम मुरख नाहि हमरे गियनवां,
येही लिए तोहरा क धरीं धियनवां।
कछु अइसन कयि दा माई-
करीं हम रचना॥
हे माई ! हम त तोहार ............. ।

ना एको फूल ना आखर बाती,
कछु कहि पाई ना बेधैले छाती।
हमरा के दे दा माई-
ज्ञान भरी रसना॥
हे माई ! हम त तोहार .............. ।

बड़ नीक लागे तोहरी हंस क सवरिया,
बीनवा से झरेले रस-फुलझरिया।
इहे रूप धयि के-
उतरिजा मोरे अंगना॥
हे माई ! हम त तोहार............... ।

ज्ञान
-विज्ञान क तूं एक सगरवा,
एक बूंद खातिर ह्करे हियरवा।
हे माई ! अउर कछु-
मोरी गरजि ना।।
हे माई ! हम त तोहार............... ।

हम हईं माटी क एगो पुतलवा,
मनई बना दा एका देके परसदवा।
एहै आस लेके-
करीं तोहार अर्चना॥
हे माई ! हम त तोहार................ ।

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