Tuesday, September 8, 2009

आज तक समझे नही.....

आज तक समझे नहीं हम क्या कहानी प्यार की?
आलमे मस्ती है ये, या है ग़ज़ल इनकार की॥
अलमस्त भौरों के तराने कुछ नहीं बतला सके।
सागरों मीना के दीवाने नहीं बतला सके।
बतला सकीं नज़रें न वो मेरे यार की सरकार की॥ आज तक समझे ..... ॥

कितने तो ये कहकर गए इसमें खुदा की शान है,
जान है, ईमान है, इंसान की ये आन है।
कुछ शायरों ने है कहा, ये किताब है बहार की॥ आज तक समझे .........॥

कुछ ने सदा-ए-इश्क को जन्नत का है दर्जा दिया,
शोला है ये, शबनम है ये, या क्या है ये किसको पता?
कुछ रूहें कह कर गयीं, ये किताब है पतझार की॥ आज तक समझे ..... ॥

कुछ अश्क बहकर यूँ कहे, ग़म के अंजुमन का फूल ये,
कुछ हस्तियाँ मिटकर कहीं, है ज़िन्दगी की भूल ये।
कोई जो बने कहता रहे, ये तो गुफ्तगू इकरार की॥ आज तक समझे..... ॥

एक से बढ़कर एक यहाँ, हैं शायरों के मशवरे,
कुछ को समय ने खा लिया, कुछ के बने हैं मक़बरे।
यह नज़्म है यारों मेरे, किसी दर्द बेशुमार की॥ आज तक समझे ........ ॥

7 comments:

  1. sudar abhivyakti. malum hua mere man ki baat hai .
    ati sundar

    isi trah likhte rahen taki kuch umda padhne ko milta rahe
    dhanya wad
    satya vyas

    ReplyDelete
  2. Rachnaein utkrisht hain...

    ...par sabse zayada rachnaaon ki geyta ne prabhavit kiya.

    ReplyDelete
  3. एक मीठी सी शिद्द्त है आपकी कलम मे..शायद शाम की चिड़िया के एकांत-गान सी..उन्मुक्त..किन्तु छंदबद्ध..बहुत खूब

    ReplyDelete
  4. दिल को छूने वाली रचना है ।

    ReplyDelete
  5. आज तक समझे नहीं हम क्या है कहानी प्यार की .....

    बहुत खूब .....!!

    अपूर्व जी ने सही कहा आपकी नज़्म में एक मीठी चुभन है जो अपनी और बरबस खींचती है .....बहुत ही उम्दा रचना ....!!

    हार्दिक बधाई ....!!

    ReplyDelete
  6. वाकई में नहीं समझे ....
    चालाकी और धूर्तता में ही समय निकल जाता है ! प्यार , नेह के लिए समय ही नहीं बचता :-(

    शुभकामनायें इस खूबसूरत रचना के लिए ! आप अपनी बात समझाने में कामयाब रहे हैं भाई जी !

    ReplyDelete