आवो, मिलकर करें सर्जना ऐसे हिन्दुस्तान की,
जिसमे श्रद्धा पले-बढे नित, कुदरत औ भगवान् की |
वृक्ष देवता माना जाये, हरियाली की पूजा हो,
बाग़-बगीचा-खेत-कियारी, अन्न-फूल-फल उपजा हो |
पशु-विहार औ ताल-तलैया, पंछी-कलरव तान की-
आवो, मिलकर करें सर्जना .... ||
सत्य-अहिंसा ध्येय हो जिसका, 'आज़ादी' जो समझ सके,
मानवता बस एक धर्मं हो, 'बरबादी' जो समझ सके |
समता-ममता, प्यार-मोहब्बत, करुना औ ईमान की-
आवो मिलकर करें सर्जना .... ||
रह ना जाये कोई भी रेखा, जिसमें अब गरीबी की,
छुआछूत औ भेद-भाव संग, रेखा मिटे अमीरी की |
बजे दुन्दुभी जिसमें हर-पल, साक्षरता-अभियान की-
आवो, मिलकर करें सर्जना .... ||
युवा बने जिस मुल्क का गौरव, ऐसा देश हमारा हो,
करें हौसला पस्त तिमिर के, रौशन जग सब सारा हो |
वतन-परस्ती के जज़्बे की, आन-बान औ शान की-
आवो, मिलकर करें सर्जना .... ||
महंगाई की मार न हो जहाँ, सबकी रोजी बनी रहे,
बच्चा अपना बचपन जीये, सबकी रोटी पकी रहे |
नारी-शिक्षा और तरक्की, संसाधन-सम्मान की-
आवो, मिलकर करें सर्जना .... ||
Tuesday, November 29, 2011
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