Thursday, December 1, 2011

ऐसी माटी ...


भारत-माता के वीर सपूतों,
अपनी धरती का करलो नमन |
ऐसी माटी तुम्हे न मिलेगी,
कर लो टीका समझ इसको चन्दन ||

इसके उत्तर में गिरिवर हिमाद्री
जैसे प्रहरी हो इसका अहर्निशी
चाँदनी की धवलिमा लिए....
दक्षिनोदधि करे पादसिंचन || ऐसी माटी ..... ||

इसकी प्राची दिशा में सुशोभित,
गारो, खासी, मेघालय, अरुणाचल |
इसके पश्चिम निरंतर प्रवाहित,
सिन्धु-सरिता व् धारा-अदन || ऐसी माटी ..... ||

शीश-कश्मीर ऐसे सुशोभित,
स्वर्ग-नगरी हो जैसे अवनि पर |
गंगा-कावेरी जल उर्मियों से,
देवता नित करें आचमन || ऐसी माटी ..... ||

पुष्प अगणित खिलें उपवनों में,
मृग कुलाचें भरें नित वनों में |
वर्षपर्यंत रितुरागमन है,
लोरी गाये चतुर्दिक पवन || ऐसी माटी .... ||

अपनी धरती का गौरव रामायण,
सारगर्भित वचन भगवदगीता |
मार्गदर्शन करें नित अजानें,
वेद-बाइबिल का अदभुत मिलन || ऐसी माटी .... ||

इसकी गोदी में खेले शिवाजी,
राणा, गांधी, जवाहर, भगत सिंह |
चंद्रशेखर की है सरज़मीं ये,
बाल गंगा तिलक का वतन || ऐसी माटी ..... ||





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