Thursday, December 1, 2011

चलो, एक गाँव बसायें ....



राग-द्वेष से दूर,
चलो, एक गाँव बसायें |
जहाँ न हो कोई भीरु,
चलो, एक गाँव बसायें ||

सघन वृक्ष की छाँव जहाँ हो,
पोखर, नदी, तालाब जहाँ हो |
निर्झर-जल भर-पूर,
चलो, एक गाँव बसायें ||

पंछी-कलरव तान जहाँ हो,
सुघड़, सुखद विहान जहाँ हो |
मिले प्रकृति का नूर,
चलो, एक गाँव बसायें ||

निर्भय, निडर रहें जहाँ सब जन,
विलसे सुख-सुकून जहाँ कण-कण
ठुमके मन-मयूर,
चलो, एक गाँव बसायें ||

वाणी मधुर-मिठास भरी हो,
कुण्ठित मन न निराश कोई हो |
ग़म हो काफ़ूर,
चलो, एक गाँव बसायें ||

सुख-दुःख हो जहाँ सबका अपना,
ध्येय एक हो मिल-जुल रहना |
नहीं कोई हो क्रूर,
चलो, एक गाँव बसायें || 

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