रात के जब सितारे चले,
मेरे अरमान सारे चले।
रह गयी बज़्म सूनी की सूनी,
मेहमान सारे चले॥
ढल गया चाँद प्यारा सलोना,
मिट गया आज जीवन खिलौना॥
आस टूटी की टूटी रही,
मेरे गमख्वार सारे चले॥
रात के जब सितारे चले.......... ॥
थम गया सिल-सिला हसरतों का,
हो गया खात्मा महफिलों का।
प्यासे अरमान प्यासे रहे,
कहाँ सरकार मेरे चले?
रात के जब सितारे चले......... ॥
ए खुदा ! क्या तुझे है मिला
तोड़कर के मेरा हौसला?
मर गया मैं यहाँ जीते जी,
दिल के गुलज़ार सारे चले॥
रात के जब सितारे चले.........॥
Wednesday, September 2, 2009
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फ़िल्मी गीत सी मधुरता आ गयी है इसमे..गाये जाने पर और अभी मोहक लगेगा..मस्त!
ReplyDeletewah
ReplyDeleteए खुदा ! क्या तुझे है मिला
तोड़कर के मेरा हौसला?
मर गया मैं यहाँ जीते जी,
दिल के गुलज़ार सारे चले॥
रात के जब सितारे चले.........॥
vastav men mast rachna, bhavnaon ka adbhut mishran. badhai sweekaren.
मुझे आपके इस सुन्दर से ब्लाग को देखने का अवसर मिला, नाम के अनुरूप बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इन्हें प्रस्तुत किया आभार् !!
ReplyDeleteखूबसूरत भावाभिव्यक्ति।
बहुत ही सुक्ष्म अनुभुतियों को आपने सुंदर तरीके से इस रचना में पिरो दिया है. बहुत शुभकामनाएं.
शेष कुशल,
आपका अपना ...
राजीव महेश्वरी