इन्होंने चुरायी हैं नज़रें जो मुझसे,
मेरा गीत कोई न इनके लिए है।
इन्हें ना मयस्सर हो ग़ज़ले मोहब्बत-
न संगीत कोई अब इनके लिए है।। इन्होंने चुरायी....
इन्हें अब ना कहना कि ये महज़बीं हैं,
इन्हीं की बदौलत ये मौसम हसीं है।
इन्हें क्या है लेना अब जज़्बा-ए-गुलों से-
गुलों की मोहब्बत ना इनके लिए है।।इन्होंने चुरायी..
कोई जा के कह दे बहारों से इतना,
कि बागों में फूलों को खिलने न दें वो।
इन्हें कर दो महरूम बहारों की ऋतु से-
बहारों की महफ़िल ना इनके लिए है।।इन्होंने चुरायी....
कोई फ़र्क पड़ता नहीं बादलों से,
चाँद-तारे हमेशा रहेंगे जवां ।
छीन लो इनसे इनकी जवां चाँदनी-
चाँदनी की चमक अब ना इनके लिए है।।इन्होंने चुरायी हैं नज़रें जो मुझसे....।।
बेवफ़ाई किया है इन्होंने सुनो,
सिला बेवफ़ाई का इनको मिले।
चैन इनको मिले ना कभी ऐ ख़ुदा!
मीत की प्रीति जग में न इनके लिए है।।इन्होंने चुरायी हैं....।।
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