न मैंने तुझे पुकारा,
न तुमने मुझे पुकारा।
आंखों के बस मिलन से-
आया समझ इशारा।।
आया समझ.....।।
कहिं दूर तरु -शिखा पे,
बैठी थी एक कोयल।
मिसिरी सी उसकी बोली-
खोले है राज सारा।।
आया समझ.....।।
सो के सुबह उठा तो,
देखा कि एक हिरनी।
खोजे-फिरे विकल हो-
खोया जो दोस्त प्यारा।।
आया समझ.....।।
भौंरे चमन में जा कर,
कलियों से कह रहे थे।
देखा कभी क्या तुमने-
मिलते नदी -किनारा।।
आया समझ......।।
जीवन में प्यार साँचा,
जब भी गले मिला है।
दुश्वारियों का थप्पड़-
उसको लगा करारा।।
आया समझ......।।
अहसासे प्यार होता,
शीतल पवन का झोंका।
देता सुक़ून दिल को-
जो है विरह का मारा।।
आया समझ.......।।
धातुओं की खन-खन,
औ पायलों की छन-छन।
समझो कि कौन किसका-
होती यहाँ सहारा ।।
आया समझ इशारा ।।
No comments:
Post a Comment