Monday, May 6, 2019

तेरे हसीन चेहरे से...


तेरे हसीन चेहरे से,हटती नज़र नहीं।
जी चाहता है कहना,क्या कह दें ख़बर नहीं।।
    नयनों की तेरे चुप्पी में,कुछ राज़ 
तो छुपा है।
    कैसे इन्हें मैं जानूँ,मिलती डगर नहीं ।।
तस्वीर से निकल कर,आ जा क़रीब मेरे।
रातों से कह दे कोई,करना सहर नहीं।।
    कागज़ पटल से उड़ कर,आ जा समा जा दिल में।
    दुनिया में कोई तुझ सा तो,हमसफ़र नहीं।।
तेरे अधर की हल्की,मुस्कान भोली-भाली।
मोनालिसा सी लगती,ढाए कहर नहीं।।
     तेरे चित्र के चितेरे,होंगे जहां में अनगिन।
     मेरे ज़िगर सा कोई,होगा ज़िगर नहीं।।
शफ़्फ़ाक़ संगमरमर सा, तराशा तेरा बदन।
रचने में कोई क़ुदरत ने,छोड़ी कसर नहीं।।

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