Sunday, May 5, 2019

मानवता अपनाओ...


जाति-धर्म से ऊपर उठ कर,मानवता अपनाओ।
सकल विश्व परिवार है अपना,जीओ और जिलाओ।।
       सदा विखण्डित हुई एकता,
       मज़हब की कट्टरता  से।
        अलगाववाद-आतंकवाद के,
         क्रूर कर्म बरबरता  से।
सब जन आगे बढ़कर,एक सूत्र में बंध जाओ-
आतंकवाद के इस कलंक को,यथाशीघ्र मिटवाओ।।
       चारो-तरफ़ आज विश्व में,
       नर-संहार का तांडव है।.
        कोई बनता दुर्योधन तो,
         कोई बनता पांडव  है।
सुनने वाला गीता का उपदेश,मग़र कोई अर्जुन हो-
ज्ञान-कर्म का बोध करावे,ऐसा कान्हा बुलवाओ।।
        अपने और पराये का अब,
          भेद  मिटा  दो  भाई।
          मज़हब की दीवार तोड़ कर,
            प्रेम  से  पाटो  खाईं।
गले मिलो सौहार्द्र भाव से,मन में बिना भरम के-
एक भाव से, एक बोल हो,संस्कृति नवल रचाओ।।
        भारत औ जापान-चीन,
        और देश अफ्रीका  भी।
         अरब-पाक-इंग्लैंड और,
           रूस-अमरीका  भी।
न्यूज़ी-थाई-लंका और सङ्ग अस्तरेली भी-
सरगम के सुर सप्त एक कर,रसमय गीत सुनाओ।।
       कभी न बाँटो सुनो बन्धुवर,
       अवनि-सिंधु-अम्बर को।
        राम-रहीम-मोहम्मद-ईसा,
        सबके हैं,पैगम्बर  को।
मज़हब के बन्धन में रखना,इनको उचित नहीं है-
सब सबके हैं,सब अपने हैं,ऐसी ज्योति जलाओ।।
       बहुत हुआ यह खून-खराबा,
        अब तो जागो  मित्रों!
        हृदय खोल कर,प्रेम-शान्ति का,
         जश्न मनाओ  मित्रों!
देख अवनि पर अमन-चैन को,खुश होगा ऊपरवाला-
वही नियन्ता-कर्त्ता-धर्ता,उससे नेह  लगाओ  ।।
सकल विश्व परिवार है अपना,जीओ और जिलाओ।।

No comments:

Post a Comment