Wednesday, May 8, 2019

हमसे ही वजूद तुम्हारा है...



कहा पुष्प ने सुन लो चमन,
हमसे ही वजूद तुम्हारा है।
पा हमसे महक यह जग महके-
वन-बाग़-पहाड़ बहारा है।।
           नदी की धारा में खुशबू,
           सर्वत्र महक  नभ-मण्डल में।
           खुशबू ही खुशबू फैली है,
            मंज़र में, हर जंगल में।
            दिग-दिगन्त सब महक उठा-
            क़ुदरत ने हमें निखारा है।।
हम नारी -माथे की शोभा,
हम मन्दिर की शान बने।
हमको सिर पर धारण करके,
स्वर्ग के देव महान बने।
प्रथम प्रेम के हम प्रतीक जो-
परिणय-जीवन-धारा है।।
          हम मुरीद हैं सुनो चमन,
          बस वीरों-वतन-परस्तों के।
          उनपे ही बिछ जाते हैं हम,
          जो पथ हैं सब अलमस्तों के।
          यद्यपि हम हैं रंग-विरंगे-
          पुष्प ही नाम हमारा है।।
सीख हमारी नरमायी औ,
कोमलता का रूप है।
सदविचार-सद्कर्म की खुशबू,
इसका मूल स्वरूप है।
बने सुगन्धित जीवन सबका-
यही पुष्प का नारा है।।
    हमसे ही वजूद तुम्हारा है।।

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