प्रकृति से कर ले नेह रे भाई!
वेद,पुराण,ज्ञान,निगमागम यहि मा सबै समायी।
विधि ,हरि,हर,सुर-सार, गिरा,गुरु-गरिमा में है नहायी।।
प्रकृति से कर ले...
मन्दिर,मस्ज़िद,गिरजा लखि सच सबने अलख जगायी।
क्षिति,जल,पावक,पवन,अवनि यह जानो यही सचाई।।
प्रकृति से कर ले....
प्रकृति ईश है,ईश प्रकृति है यहि मा सकल खुदाई।
प्रकृति छाड़ि जो अरु कछु पूजा बूड़ी सकल कमायी।।
प्रकृति से कर ले नेह रे भाई।।
No comments:
Post a Comment