उनके फुरकत का हमें ग़म सताये रहता है,
कलामे शायर की तरह लब पे आये रहता है।।
अब तो शरमाये है बरसात में सावन की घटा,
अश्क़ में यूँ बदन अपना नहाये रहता है।।
उनके फुरकत का....
चाँदनी रात का मंजर डसे नागन की तरह,
बिस्तरे गुल भी चादरे खार बिछाये रहता है।।
उनके फुरकत का....
तड़पे बुलबुल की तरह यूँ क़फ़स में दिल अपना,
ख्याल-ए-दीदार अब सियाही लगाये रहता है।।
उनके फुरकत का....
सज़ा का है वही हक़दार मुक़म्मल यारों,
मरकज़-ए-जुर्म से जो तालीम पाये रहता है।।
उनके फुरकत का....।।
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