Saturday, December 8, 2018

तिल-तिल घुटन में रह के...


तिल-तिल घुटन में रह के बितायी है ज़िन्दगी,
जब-जब गिरे हैं हमको उठायी है ज़िन्दगी।
फिर भी न हो यकीं तो हवाओं से पूछ लो-
तूफ़ान में भी हमने सजायी है ज़िन्दगी।।
        मौसम की बेरुख़ी ने सताया है रात-दिन,
        बरसात ने भी जलवा दिखाया है रात-दिन।
       हुलास लिए दिल में मगर बादलों जैसा-
        मन्ज़िल पे हमें अपनी पहुंचायी है जिंदगी।।
जब भी किसी को हमने चाहा है प्यार से,
हम पा सके उसे ना दुनिया के वार  से।
जैसे ही हमपे लोगों ने कीचड़ उछाला है -
दामन पे पड़े दाग़ मिटाई है  ज़िन्दगी ।।
       प्रायः घनेरे बादल ग़मों के  घिरे  हैं ,
        बेसुरी सी मन में कोई राग  छेड़े हैं।
        बेआसरा,ऐसे में कोई बात न हो जाय-
         टूटने से हमको बचाई है  ज़िन्दगी ।।
ज़िन्दगी अच्छी-बुरी हो चाहे जो बसर,
हर हाल में यह अपनी रहती है रहगुजर।
मानो तमाम शाम रुलायी है यह  हमें -
सुबहें हैं बेशुमार जब हँसाई है  जिंदगी।।
       ज़िन्दगी ख़ुदा की सदा शुक्रगुज़ार है,
       रब ने किया इसी से जग को गुलजार है।
        है क़ाबिले तारीफ़ इसकी कर्ज अदायगी-
        ख़ुद मौत को गले से लगायी है  ज़िन्दगी।।
क़यामत के बाद कौन आता यहाँ पे है,
मुश्किल बहुत है जानना, जाता कहाँ पे है।
गर नामो-यश रह जा बाद-ए-क़यामत तो-
समझो, यही बस कमायी है  ज़िन्दगी ।।

1 comment:

  1. हमारे गुरुदेव की शानदार रचना, आपकी कविताओं से बहुत प्रेरणा मिलती है, आपके दर्शन से ऊर्जा मिलती है गुरुदेव

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