Saturday, December 1, 2018

सिर्फ़ तेरा...



चित ठिकाने नहीं, दिल ये माने नहीं,
सिर्फ़ तेरा नज़ारा नज़र आ रहा।
क्या करूँ ध्यान किसका बता मैं धरूँ?
सिर्फ़ तेरा सहारा नज़र आ रहा।।
         तेरे  चञ्चल नयन,शोख़ चितवन का फ़न,
         वो अदाएं,सदायें कहाँ सब  गयीं ?
         देखते -देखते ,देखो,ये क्या हुआ?
         डूबता एक सितारा नज़र आ रहा।।सिर्फ़ तेरा....
उजड़े मंज़र सभी,ताने खंज़र सभी,
वो हवायें, फ़ज़ाएँ सभी हैं खड़ी ।
लड़खड़ाते क़दम डीग न पायें कहीं,
टूटता ग़म का मारा नज़र आ रहा
                                           सिर्फ़ तेरा....
         ज़िन्दगी के सफ़र की डगर अब कठिन,
         वो खताएं,सज़ाएं मुबारक हुयीं।
         अश्क़ पीता हुआ, दिल का टूटा हुआ,
         वक़्त का एक मारा नज़र आ रहा।।सिर्फ़ तेरा....
आशिक़ी का सबब जानेमन,क्या कहें!
वो वफ़ाएँ ,ज़फाएँ बनीं सब यहाँ।
दुनियावाले न मानें कोई ग़म नहीं,
खार ही गुल में सारा नज़र आ रहा।।
              सिर्फ तेरा सहारा नज़र आ रहा।।

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