Saturday, December 1, 2018

प्रगति-पथ पर...






प्रगति -पथ पर पथिक है दूर अब मंज़िल कहाँ?
मंज़िलें पावों तले हैं,गर रहें अरमां जवां ।।
         आदमी तो हौसला का,
         साज़  है,आवाज़  है।
          हौसला  उसमें रहे  तो,
          मुश्किलें होंगीं  फ़ना ।। प्रगति-पथ पर....
काटों में कैसे  मुस्कुराये,
गुल  गुलाबों का  सदा!!
कितना हसीं है गुल कवँल का!!
गोया हो  कीचड़  सना।। प्रगति-पथ पर....
         तो लो, सबक ले लो इन्हीं  से,
         ज़िंदगी के राज़ का।
         जैसे  खिले  ये गुल सभी,
          तुम  भी खिल जाओ यहां।।प्रगति-पथ पर....
खुद को समझो तो,
ख़ुदाई आप अपने आयेगी।
हर बलन्दी चूम  लेगी,
तेरे क़दमों  के  निशां।।प्रगति-पथ पर....
           जोखिमों  से  जूझना तो,।
            फ़र्ज़ है  इन्सान का ।
             गर  इन्हें ठुकराया तो,
             ठुकरा तुझे  देगा  जहां।।प्रगति-पथ पर....।।

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