प्रगति -पथ पर पथिक है दूर अब मंज़िल कहाँ?
मंज़िलें पावों तले हैं,गर रहें अरमां जवां ।।
आदमी तो हौसला का,
साज़ है,आवाज़ है।
हौसला उसमें रहे तो,
मुश्किलें होंगीं फ़ना ।। प्रगति-पथ पर....
काटों में कैसे मुस्कुराये,
गुल गुलाबों का सदा!!
कितना हसीं है गुल कवँल का!!
गोया हो कीचड़ सना।। प्रगति-पथ पर....
तो लो, सबक ले लो इन्हीं से,
ज़िंदगी के राज़ का।
जैसे खिले ये गुल सभी,
तुम भी खिल जाओ यहां।।प्रगति-पथ पर....
खुद को समझो तो,
ख़ुदाई आप अपने आयेगी।
हर बलन्दी चूम लेगी,
तेरे क़दमों के निशां।।प्रगति-पथ पर....
जोखिमों से जूझना तो,।
आदमी तो हौसला का,
साज़ है,आवाज़ है।
हौसला उसमें रहे तो,
मुश्किलें होंगीं फ़ना ।। प्रगति-पथ पर....
काटों में कैसे मुस्कुराये,
गुल गुलाबों का सदा!!
कितना हसीं है गुल कवँल का!!
गोया हो कीचड़ सना।। प्रगति-पथ पर....
तो लो, सबक ले लो इन्हीं से,
ज़िंदगी के राज़ का।
जैसे खिले ये गुल सभी,
तुम भी खिल जाओ यहां।।प्रगति-पथ पर....
खुद को समझो तो,
ख़ुदाई आप अपने आयेगी।
हर बलन्दी चूम लेगी,
तेरे क़दमों के निशां।।प्रगति-पथ पर....
जोखिमों से जूझना तो,।
फ़र्ज़ है इन्सान का ।
गर इन्हें ठुकराया तो,
ठुकरा तुझे देगा जहां।।प्रगति-पथ पर....।।
गर इन्हें ठुकराया तो,
ठुकरा तुझे देगा जहां।।प्रगति-पथ पर....।।
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