Saturday, December 1, 2018

मायूस ज़िन्दगी का...


मायूस ज़िन्दगी का इतिहास लिख रहा हूँ,
लूटा है मिल के सबने अहसास लिख रहा हूँ।।
             मिलते तो हैं गले वो इक यार की तरह,
             काटेंगे वो गला भी कुछ ख़ास लिख रहा हूँ।।
                                   मायूस ज़िन्दगी का....
इक दर्द है यहाँ तो इक दर्द है वहाँ भी,
बस दर्द ही है जीवन,बिन्दास लिख रहा हूँ।।
                           मायूस ज़िन्दगी का....
            कोई रहे ना भूखा, नंगा रहे ना  कोई,
           यह आस ले के मन में विश्वास लिख रहा हूँ।।
                               मायूस ज़िन्दगी का....
बुझती कभी नहीं क्यूँ हैवानियत की प्यास?
इन्सानियत भी प्यासी वो प्यास लिख रहा हूँ।।
                            मायूस ज़िन्दगी का इतिहास....

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