Saturday, December 22, 2018

किसी शक्ति ने जन्म लिया...


जब -जब पाप बढ़ा धरती पे,
किसी शक्ति ने जन्म लिया।
पाप से बोझिल इस धरती को,
पाप-फ़ांस से मुक्त  किया।।
        जीवन कभी न बच पाया है,
       झूठ के अलम्बरदारों से।
       कामी, कपटी,कुटिल,प्रलोभी,
       जुर्म के ठेकेदारों  से।
       साफ-पाक-बेबाक मोहब्ब्त, 
       जब -जब जग में रोई है।
       उसकी ही मुस्कान की ख़ातिर -
       किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
नकबजनी होती रहती है,
मन्दिर-मस्ज़िद-गुरुद्वारे में।
क्या-क्या नहीं हुईं हैं बातें,
गिरजाघर के बारे में।
इंसान बना इंसाफ़ का दुश्मन,
जब-जब इस धरती पे।
लूट-पाट-उत्पात रोकने-
किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
     लहू-लुहान जब हुई मनुजता,
     रक्त-पात चहुँ ओर हुआ।
     चन्दन जब त्यागा शीतलता,
     अमृत विष घनघोर हुआ।
     नहीं बचे जब पोथी-पन्ना,
     शिक्षा-सदन कंगाल हुआ।
     तालीम -इल्म-रक्षार्थ जगत में-
     किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
राह सही इंसान चुनें सब।मेल-भाव से पलें-बढ़ें ।
हक़-हुक़ूक़ को ध्यान में रख के,
आपस में नहिं लड़ें-भिड़ें ।
कोई दुशासन जब-जब करता
अबला का यदि चीर-हरण।
नारी-लाज बचाने ख़ातिर-
किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
     पर्वत-शिखर, समन्दर-तट तक,
     चहुँ-दिशि विलसे, दिगदिगन्त तक।
     एक जाति हो,एक धर्म हो,
     एक भाव मानुष -मन तक।
      जब इसके विपरीत हुआ कुछ,
      नामाकूल सलूक़ हुआ कुछ।
     सुख-सुकून को क़ायम रखने-
     किसी शक्ति ने जन्म लिया।।

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