जब -जब पाप बढ़ा धरती पे,
किसी शक्ति ने जन्म लिया।
पाप से बोझिल इस धरती को,
पाप-फ़ांस से मुक्त किया।।
जीवन कभी न बच पाया है,
झूठ के अलम्बरदारों से।
कामी, कपटी,कुटिल,प्रलोभी,
जुर्म के ठेकेदारों से।
साफ-पाक-बेबाक मोहब्ब्त,
जब -जब जग में रोई है।
उसकी ही मुस्कान की ख़ातिर -
किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
नकबजनी होती रहती है,
मन्दिर-मस्ज़िद-गुरुद्वारे में।
क्या-क्या नहीं हुईं हैं बातें,
गिरजाघर के बारे में।
इंसान बना इंसाफ़ का दुश्मन,
जब-जब इस धरती पे।
लूट-पाट-उत्पात रोकने-
किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
लहू-लुहान जब हुई मनुजता,
रक्त-पात चहुँ ओर हुआ।
चन्दन जब त्यागा शीतलता,
अमृत विष घनघोर हुआ।
नहीं बचे जब पोथी-पन्ना,
शिक्षा-सदन कंगाल हुआ।
तालीम -इल्म-रक्षार्थ जगत में-
किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
राह सही इंसान चुनें सब।मेल-भाव से पलें-बढ़ें ।
हक़-हुक़ूक़ को ध्यान में रख के,
आपस में नहिं लड़ें-भिड़ें ।
कोई दुशासन जब-जब करता
अबला का यदि चीर-हरण।
नारी-लाज बचाने ख़ातिर-
किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
पर्वत-शिखर, समन्दर-तट तक,
चहुँ-दिशि विलसे, दिगदिगन्त तक।
एक जाति हो,एक धर्म हो,
एक भाव मानुष -मन तक।
जब इसके विपरीत हुआ कुछ,
नामाकूल सलूक़ हुआ कुछ।
सुख-सुकून को क़ायम रखने-
किसी शक्ति ने जन्म लिया।।
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