तुझे हो मुबारक़ तेरा प्यारा दिलवर,
मेरे दिल को कोई शिकायत नहीं है।
चली जा कली बन के तू उस चमन की,
मेरे दिल-चमन को शिकायत नहीं है।।
तुझे हो मुबारक़....
दुनिया तो बगिया है ज़िन्दगी की,
शम्मा है मोहब्बत की रौशनी की।
चली जा कली बन के तू उस चमन की,
मेरे दिल को कोई शिकायत नहीं है।।
तुझे हो मुबारक....
मेरा क्या ठिकाना,मैं एक दीवाना,
कभी हूँ हक़ीकत, कभी हूँ फ़साना।
पतंगा जला है शम्मा की लपट से,
दुनिया-ए-मोहब्बत की रवायत यही है।।
तुझे हो मुबारक....
समझना हमें एक झोका पवन का,
कि उड़ता हुआ एक पंछी गगन का।
सलामत रहे यार तेरा जहां में,
ख़ुदा को भी मेरी हिदायत यही है।।
तुझे हो मुबारक....
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