हे महाशक्ति!हे महाप्राण!मेरा वन्दन स्वीकार करो।
कर दो सम्भव मैं तिलक करूँ,मेरा चन्दन स्वीकार करो।।
हे महाशक्ति,है महाप्राण!....
युगों-युगों से इच्छा थी,कब तेरा दीदार करूँ?
चाहत थी ना जाने कब से तेरा ख़िदमदगार बनूँ?
करूँ अर्चना तत्क्षण तेरी,मेरा क्रन्दन स्वीकार करो।।
हे महाशक्ति,हे महाप्राण!....
ललित ललाम निनाद तुम्हारा महाघोष परिचायक है।
जलनिधि का नीलाभ आवरण चित-हर्षक-सुखदायकहै।
करो कृपा मैं आसन दे दूँ, मेरा स्यंदन स्वीकार करो।।
हे महाशक्ति,हे महाप्राण!....
पूनम का वो चाँद सलोना जब अम्बर पे होता है,व
तू ले अँगड़ाई ऊपर उठ कर बाहों में भर लेता है।
बंधू प्रेम-धागे से तुझ सङ्ग, मेरा बन्धन स्वीकार करो।।
हे महाशक्ति,हे महाप्राण!....
तू पयोधि-उदधि-रत्नाकर,जल-थल-नभ-चर पालक है।
प्रकृति-कोष के निर्माता तू,जीवन-ज्योति-विधायक है।
चरण पखारू मैं भी तेरा,मेरा सिंचन स्वीकार करो।।
हे महाशक्ति,हे महाप्राण!....।।