अबकी इस बरसात का,मत पूछो क्या हाल?
जलाधिक्य से हो गया,पूरा देश बेहाल।
चहूँ-दिशि पानी-पानी-
इन्द्र देव की मेहरबानी।।
महाराष्ट्र गुजरात से ले कर,असम और बंगाल,
उत्तराखण्ड-हिमाचल का भी,होवे ख़स्ता हाल।
डूबते राजस्थानी-
इन्द्र देव की मेहरबानी।।
झारखण्ड-बिहार-उड़ीसा, केरल भी जल-प्लावित,
तमिलनाडु औ एम.पी.-यू.पी.,सभी हैं बाढ़-प्रभावित।
सभी जनों की दुखद कहानी-
इन्द्र देव की मेहरबानी।।
जम्मू औ कश्मीर में पर्वत,भरभराय भहरायें,
जलाघात से गिर चट्टानें,वज्रपात बन जायें।।
मिले न पथ की कोई निशानी-
इन्द्र देव की मेहरबानी।।
उमड़ि-घुमड़ि जब बरसें बादल, हाय-हाय मच जाय,
नदी-खेत-खलिहान-सड़क का,सब अन्तर मिट जाय।
क्रूर प्रकृति की कारस्तानी-
इन्द्र देव की मेहरबानी।।
पेड़ काटना और प्रदूषण,होता बहुत ही घातक,
तापमान का घटना-बढ़ना,जीवन-लीला-नाशक।
करे जगत की झट-पट हानी-
इन्द्र देव की मेहरबानी।
मान प्रकृति को पर्व एक अब,सब मिल पौध लगाओ,
हरी-भरी पृथ्वी को रखना,अपना लक्ष्य बनाओ।
करो न कोई आना-कानी-
इन्द्र देव की मेहरबानी।।
No comments:
Post a Comment