Tuesday, January 22, 2019

हार से जीत से...


हार से जीत से कुछ न लेना हमें,
बस लगन चाहिए ज़िन्दगी के लिए।
देख,काशी में काबा में रखा है क्या-
बस किशन चाहिए वन्दगी के लिए।।
           है ये दुनिया का कितना बड़ा दायरा!
           इक से इक बढ़ के दौलत नशीं हैं यहां।
           पर हमारा न दौलत से नाता कोई -
           बस किरन चाहिए रौशनी के लिए।।
कुछ को शोहरत की रहती यहां लालसा,
कुछ को रहता नशा यार-दिलदार का।
हमको चहिये न दुनिया की कोई खुशी-
बस सनम चाहिए हर खुशी के लिए।।
          लोग दुनिया के अपनों में मशगूल हैं,
          चैन-अम्नो-ख़ुशी से ये महरूम हैं।
          मर मिटे दूसरों पर ये सीखा नहीं-
          बस,करन, चाहिए बानगी के लिए।।
लाख कोशिश किया हमने सुलझाने की,
ज़िन्दगी उलझनों में उलझती गयी।
उलझनों से न कोई बचा है यहां-
बस,मनन,चाहिए रुख़्सती के लिए।।
         चैन चित में नहीं,चैन दिल में नहीं,
         लगते बाहर से केवल वो जानो सुखी।
          वाह्य आडम्बरों से जो नफ़रत करे-
          बस वो मन चाहिए सादगी के लिए।।
सबके महले-दोमहले बहुत हैं यहां,,
पर जो देखा तो कोई नहीं है सुखी।
लोग रहते हर इक पल परेशान यहां-
बस,लगन, चाहिए ज़िन्दगी के लिए।।

1 comment:

  1. Sir Pranam, Very realistic and thoughtful lines.May God bless you with health and fitness to contribute the Society.Regards

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