Tuesday, January 22, 2019

व्यक्ति नहीं पूजा जाता...



व्यक्ति नहीं पूजा जाता,
पूजा जाता है व्यक्तित्व-
व्यक्ति तो हाड़-मांस का एक पुतला होता है,
जिसकी नियति है गल जाना-सड़ जाना-पूर्ण रूपेण
समाप्त हो जाना।
अमरत्व,दैवत्व की श्रेणी में आता है व्यक्तित्व-
कल था-आज है-
और कल भी रहेगा।
व्यक्ति की उपादेयता उसके व्यक्तित्व से होती है।
सुन्दर-स्वस्थ-हट्टा-कट्टा वह भले ही हो-
पर,मर्यादा विहीन गठीला बदन किसी भी-
काम का नहीं।
राम-कृष्ण-बुद्ध-ईसामसीह-मोहम्मद मात्र-
नाम और व्यक्ति ही नहीं-मूल्यों-आदर्शों एवम
मर्यादाओं के प्रतीक उदात्त व्यक्तित्व हैं।
बाधाएं-रोड़े-अनअपेक्षित घटनायें राह की
बाधक नहीं हो सकतीं-
चेत लक्ष्य अथवा ध्येय पक्का  हो।
कठिनाइयां तो आएंगीं-अपना काम करेंगीं।
हमें भी अपना काम करना है।
  कठिनाइयों से लड़ना है।
स्थापित करना है मूल्यों को,मर्यादाओं को।
 टूटना नहीं-बिखरना नहीं-मुड़ना नहीं-
बस,चलते ही रहना है-चलते ही रहना है -
        चलते ही रहना है।।

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