देखि के अकसवा मा उमड़ल बदरिया,
बवूराये हो चित मोरा सवरिया।।
झूला झूलत सुधि तोहरी आवे,
तोहरे सिवा मोहे कछु नहि भावे।
चिहुँक उठे जियरा जब चमके बिजुरिया-
बवूराये हो....
नहीं कोई चिट्ठी ना कोई सनेसवा,
भूलि गयो प्यारे तू जाई के बिदेसवा।
हुकि उठे सुनि-सुनि के रेल कै बंसुरिया-
बवूराये हो....
नदी -पेड़-पर्वत पे छायी जवानी,
हरी-भरी धरती कै अनुपम कहानी।
उमड़े जियरवा लखि नदी कै लहरिया-
बवूराये हो....
वन-उपवन में पंछी कै कलरव,
नर्तन मयूरा कै कुसुमित पल्लव।
लगै नीक नाही बड़ सुन्दर फुलवरिया-
बवूराये हो....
बरखा त हवै सब ऋतुवन कै रानी,
रिम-झिम फुहारन कै अदभुत रवानी।
झुलसे बदनवा जब बरसै बदरिया-
बवूराये हो....
बिरहा अगन कै लौ नहि दिखती,
चारो पहर पर रहती सुलगती।
समुझै जलन बस पगली बावरिया-
बवूराये हो चित मोरा सावरिया।।
बवूराये हो चित मोरा सवरिया।।
झूला झूलत सुधि तोहरी आवे,
तोहरे सिवा मोहे कछु नहि भावे।
चिहुँक उठे जियरा जब चमके बिजुरिया-
बवूराये हो....
नहीं कोई चिट्ठी ना कोई सनेसवा,
भूलि गयो प्यारे तू जाई के बिदेसवा।
हुकि उठे सुनि-सुनि के रेल कै बंसुरिया-
बवूराये हो....
नदी -पेड़-पर्वत पे छायी जवानी,
हरी-भरी धरती कै अनुपम कहानी।
उमड़े जियरवा लखि नदी कै लहरिया-
बवूराये हो....
वन-उपवन में पंछी कै कलरव,
नर्तन मयूरा कै कुसुमित पल्लव।
लगै नीक नाही बड़ सुन्दर फुलवरिया-
बवूराये हो....
बरखा त हवै सब ऋतुवन कै रानी,
रिम-झिम फुहारन कै अदभुत रवानी।
झुलसे बदनवा जब बरसै बदरिया-
बवूराये हो....
बिरहा अगन कै लौ नहि दिखती,
चारो पहर पर रहती सुलगती।
समुझै जलन बस पगली बावरिया-
बवूराये हो चित मोरा सावरिया।।
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