मेरे दोस्त तुम क्या से क्या हो गए हो?
कल तक थे अपने अब ख़फा हो गए हो
मधुवन की कलियाँ, गावों की गलियाँ
नदी के किनारे, कुदरती नज़ारे,
सभी के सभी तो हैं पहले ही जैसे―
केवल तुम्ही बस दफ़ा हो गए हो |
मेरे दोस्त तुम .....
आई दिवाली खुशियां मनाली
खुशियो से मन की पीड़ा मिटा ली
वही थी अमावस , वही थी सजावट।
मगर बस तुम्ही बेवफा हो गए हो।
मेरे दोस्त तुम .....
बहती हवा पूछे तेरा ठिकाना ,
समझ में न आये , क्या है बताना ।
चारों दिशाएँ नहीं कुछ बताएं ,
न जाने कहाँ गुमशुदा हो गए हो।
मेरे दोस्त तुम....
फ़िज़ाओं में खुशबू चमन है बिखेरे,
हैं गाते परिन्दे सबेरे, सबेरे ।
मधुर रागिनी से विकल चित हो मेरा,
भाये न चंदा , तुम जुदा हो गए हो।
मरे दोस्त तुम...
झरनो की थिरकन , भौरों का गुँजन,
पावस की रिम- झिम ,मयूरो का नर्तन।
दबे पॉव देते हैं एहसास तेरा-
मानो तुम्ही अब ख़ुदा हो गए हो ।
मेरे दोस्त तुम...। ।
No comments:
Post a Comment