आज पूरी मेरे मन की मुराद हो गयी,
आँखों-आँखों में जाने क्या बात हो गयी?
बादे मुद्दत हुज़ूर आप ऐसे मिले,
जैसे अम्बर से धरती मिली हो गले ।
जो अधूरी थी, पूरी वो आस हो गयी ।।
आँखों - आँखों में.... ।।
आप महफ़िल में आये, बड़ी शुक्रिया,
अपना जलवा दिखाये, बड़ी शुक्रिया ।
वाह ! किस्मत मेरी, मुलाकात हो गयी ।।
आँखों - आँखों में..... ।।
बज़्मे दिल में तो साया शबेगम का था,
मेरा अपना कोई जग में हम-दम न था ।
अब तो बिछुड़ी किरन मेरे साथ हो गयी ।।
आँखों - आँखों में..... ।।
ना उम्मीदों में डूबा रहा मेरा मन,
उलझनों में झुलसता रहा तन-बदन ।
अब तो मातम की महफिल बारात हो गयी ।।
आँखों - आँखों में..... ।।
No comments:
Post a Comment